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दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (The Rights of Persons with Disabilities Act, 2016)
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 भारत में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों और समान अवसरों को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी ढाँचा है। यह अधिनियम संयुक्त राष्ट्र के "दिव्यांगजन अधिकार पर अभिसमय" (UNCRPD) के अनुरूप बनाया गया है, जिसे भारत ने 2007 में अनुमोदित किया था। इससे पहले, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए 1995 का "विकलांग व्यक्ति अधिनियम" लागू था, जो मुख्य रूप से कल्याणकारी दृष्टिकोण पर केंद्रित था। हालाँकि, 2016 के अधिनियम ने अधिकार-आधारित दृष्टिकोण अपनाया, जिसमें दिव्यांगजन की गरिमा, स्वायत्तता और समाज में पूर्ण भागीदारी को सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया।
अधिनियम का उद्देश्य
इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों को समान अवसर प्रदान करना, उनके साथ भेदभाव को रोकना और उनकी स्वतंत्रता तथा सम्मान को बढ़ावा देना है। यह अधिनियम दिव्यांगजन को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाओं, सार्वजनिक सुविधाओं और कानूनी संरक्षण तक पहुँच सुनिश्चित करता है।
महत्व और प्रभाव
यह अधिनियम दिव्यांग व्यक्तियों को मुख्यधारा में लाने और उनके जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में एक मील का पत्थर साबित हुआ है। इसके तहत सरकारी और निजी संस्थानों को दिव्यांग-अनुकूल बुनियादी ढाँचा विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। साथ ही, समाज में जागरूकता बढ़ाने और दिव्यांगजन के प्रति सहानुभूति विकसित करने पर भी जोर दिया गया है।