top of page

अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्‍वविद्यालयअधिनियम, 2006 (The English and Foreign Languages ​​Universities Act, 2006)

अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (ईएफएलयू) की स्थापना का इतिहास 1958 से जुड़ा है, जब हैदराबाद में "सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंग्लिश" के नाम से एक संस्थान की स्थापना की गई। इस संस्थान को 1972 में "सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेजेज" (सीआईईएफएल) के रूप में पुनर्नामित किया गया और 1973 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम के तहत एक विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया। 10 जनवरी, 2007 को संसद द्वारा पारित अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2006 के माध्यम से इस संस्थान को एक पूर्ण विश्वविद्यालय का दर्जा मिला, जिससे यह देश में अंग्रेजी और विदेशी भाषाओं के शिक्षण, अनुसंधान एवं प्रसार के लिए एक प्रमुख केंद्र बन गया।
विश्वविद्यालय की शक्तियाँ: यह डिग्री, डिप्लोमा और प्रमाणपत्र प्रदान कर सकता है, शोध कार्य को बढ़ावा दे सकता है, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग कर सकता है।
शैक्षणिक स्वायत्तता: विश्वविद्यालय को पाठ्यक्रम निर्धारण, परीक्षा प्रणाली और शिक्षक नियुक्ति में स्वायत्तता प्राप्त है।
वित्तीय प्रबंधन: विश्वविद्यालय का बजट और वार्षिक लेखा-जोखा संसद के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
नियमों का निर्माण: कार्य परिषद को विश्वविद्यालय के संचालन के लिए नियम, अध्यादेश और विनियम बनाने का अधिकार है।
यह अधिनियम भारत में भाषा शिक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है। इसने सीआईईएफएल को एक पूर्ण विश्वविद्यालय में परिवर्तित कर दिया, जिससे देश-विदेश के छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली भाषा शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला। विश्वविद्यालय का उद्देश्य न केवल भाषा शिक्षण को बढ़ावा देना है, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान और अनुसंधान के माध्यम से वैश्विक संवाद को सुगम बनाना भी है।

  • Picture2
  • Telegram
  • Instagram
  • LinkedIn
  • YouTube

Copyright © 2025 Lawcurb.in

bottom of page