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उत्तर प्रदेश गिरोहबन्द और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1986

उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स एंड एंटी-सोशल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट, 1986 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 7, 1986) को राज्य में गैंगस्टर गतिविधियों और समाज-विरोधी कृत्यों को रोकने और उनसे निपटने के लिए लागू किया गया था। यह अधिनियम 15 जनवरी, 1986 से प्रभावी माना जाता है। इसका उद्देश्य गैंगस्टरों और उनकी गतिविधियों पर कठोर नियंत्रण लगाकर सार्वजनिक व्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना था। यह अधिनियम उस समय की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों की प्रतिक्रिया के रूप में आया, जब राज्य में संगठित अपराध, जबरन वसूली, अवैध संपत्ति अधिग्रहण, और अन्य समाज-विरोधी गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही थीं।

परिभाषाएँ (धारा 2)
गैंग: इसके तहत किसी भी समूह को शामिल किया गया है जो हिंसा, धमकी, या अवैध तरीकों से सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करने या अवैध लाभ प्राप्त करने की कोशिश करता है।
गैंगस्टर: गैंग का कोई भी सदस्य, नेता, या संगठक, जो गैंग की गतिविधियों में सहायता करता है या उन्हें बढ़ावा देता है।
समाज-विरोधी गतिविधियाँ: इसमें हिंसा, अवैध मादक पदार्थों का व्यापार, जबरन संपत्ति पर कब्जा, जालसाजी, और अन्य अपराध शामिल हैं।
दंड (धारा 3)
गैंगस्टर को कम से कम 2 साल और अधिकतम 10 साल की कैद तथा 5,000 रुपये से कम नहीं के जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
यदि गैंगस्टर किसी सरकारी कर्मचारी या उसके परिवार के सदस्य के खिलाफ अपराध करता है, तो सजा कम से कम 3 साल की कैद और जुर्माना होगा।
कोई सरकारी कर्मचारी यदि गैंगस्टर को अवैध सहायता प्रदान करता है, तो उसे भी कम से कम 3 साल की सजा हो सकती है।
विशेष न्यायालय (धारा 5-10)
इस अधिनियम के तहत विशेष न्यायालयों की स्थापना की गई है, जो गैंगस्टरों के मामलों की त्वरित सुनवाई करते हैं।
इन न्यायालयों को साक्ष्यों के संबंध में विशेष अधिकार दिए गए हैं, जैसे कि अभियुक्त की अनुपस्थिति में भी मामले की सुनवाई जारी रखना।
संपत्ति की जब्ती (धारा 14-17)
यदि किसी व्यक्ति के पास संदिग्ध संपत्ति पाई जाती है, जिसे गैंगस्टर गतिविधियों के माध्यम से अर्जित किया गया हो, तो उसे जब्त किया जा सकता है।
संपत्ति के दावेदार को 3 महीने के भीतर अपना दावा प्रस्तुत करना होता है, अन्यथा संपत्ति जब्त हो सकती है।
साक्ष्यों का संरक्षण (धारा 11)
गवाहों की सुरक्षा के लिए मामलों की सुनवाई कैमरे के सामने की जा सकती है और गवाहों की पहचान गुप्त रखी जा सकती है।
यह अधिनियम उत्तर प्रदेश में गैंगस्टर गतिविधियों और समाज-विरोधी तत्वों के खिलाफ एक सशक्त कानूनी ढाँचा प्रदान करता है। इसके कठोर प्रावधानों के माध्यम से अपराधियों को दंडित करने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है। हालाँकि, इस अधिनियम की प्रभावशीलता इसके कार्यान्वयन और न्यायिक प्रक्रिया की दक्षता पर निर्भर करती है।

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