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केन्‍द्रीय शिक्षा संस्‍था (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम, 2006 (The Central Educational Institutions (Reservation in Admission) Act, 2006

केंद्रीय शिक्षा संस्था (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम, 2006 भारतीय संसद द्वारा पारित एक महत्वपूर्ण कानून है जिसका उद्देश्य केंद्रीय शिक्षा संस्थानों में अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST), और अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) के छात्रों के लिए प्रवेश में आरक्षण सुनिश्चित करना है। यह अधिनियम 3 जनवरी, 2007 को लागू हुआ और इसके माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया।
भारत में आरक्षण की नीति का इतिहास स्वतंत्रता से पूर्व का है, लेकिन स्वतंत्रता के बाद इसे संवैधानिक मान्यता मिली। संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के तहत सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान किए गए। 2006 का यह अधिनियम इन्हीं संवैधानिक प्रावधानों को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय शिक्षा संस्थानों में आरक्षण को व्यवस्थित करता है। इस अधिनियम के पीछे मंडल आयोग की सिफारिशों और सामाजिक न्याय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

यह अधिनियम शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक समानता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके माध्यम से पिछड़े वर्गों के छात्रों को उच्च शिक्षा में बेहतर अवसर मिले हैं, जिससे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। साथ ही, इसने शिक्षा संस्थानों में विविधता को बढ़ावा देकर एक समावेशी समाज के निर्माण में योगदान दिया है।

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