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ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008

भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में त्वरित एवं सस्ता न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 पारित किया गया। यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 39A में निहित समान न्याय के सिद्धांत को लागू करने हेतु एक महत्वपूर्ण पहल थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीणों को उनके दरवाज़े पर ही न्यायिक सेवाएँ प्रदान करना था। इसके तहत ग्राम न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान किया गया, जो सिविल एवं छोटे आपराधिक मामलों का तीव्रगति से निपटारा करते हैं। ये न्यायालय स्थानीय भाषा में कार्यवाही करते हुए पारंपरिक विवाद समाधान पद्धतियों को भी प्रोत्साहित करते हैं। अधिनियम में ग्राम न्यायाधीशों की नियुक्ति, उनके अधिकार क्षेत्र तथा प्रक्रिया संबंधी विस्तृत प्रावधान शामिल हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में न्याय तक पहुँच सुगम बने। यह कानून ग्रामीण भारत में न्यायिक सुधार की दिशा में एक सार्थक कदम है।

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