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चंडीगढ़ विक्षुब्ध क्षेत्र अधिनियम, 1983 (The Chandigarh Disturbed Areas Act, 1983)

चंडीगढ़ विक्षुब्ध क्षेत्र अधिनियम, 1983 को भारत सरकार द्वारा 8 दिसंबर, 1983 को अधिनियमित किया गया था, लेकिन इसे 7 अक्टूबर, 1983 से प्रभावी माना गया। यह अधिनियम चंडीगढ़ संघ राज्यक्षेत्र में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और उपद्रवों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लाया गया था। 1980 के दशक में चंडीगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में सामाजिक-राजनीतिक उथल-पुथल, साम्प्रदायिक तनाव, और हिंसक घटनाओं की वजह से इस कानून की आवश्यकता महसूस की गई। इस दौरान कुछ समूहों द्वारा सशस्त्र हिंसा और अवैध गतिविधियों में वृद्धि हुई थी, जिसके कारण सरकार ने कड़े उपायों की आवश्यकता समझी।
यह अधिनियम सरकार को असामान्य परिस्थितियों में त्वरित और कड़ी कार्रवाई करने की शक्ति देता है। हालाँकि, इसकी आलोचना भी हुई है क्योंकि इसमें मानवाधिकारों के संभावित उल्लंघन और पुलिसिया बल प्रयोग के दुरुपयोग का खतरा निहित है। विशेष रूप से, धारा 4 और 6 में दी गई शक्तियाँ विवादास्पद रही हैं, क्योंकि इनमें नागरिकों के जीवन के अधिकार पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

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