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चोरबाजारी निवारण और आवश्‍यकवस्‍तु प्रदाय अधिनियम, 1980 (The Prevention of Black Marketing and Maintenance of Supplies of Essential Commodities Act, 1980)

चोरबाजारी निवारण और आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम, 1980 (Prevention of Black-marketing and Maintenance of Supplies of Essential Commodities Act, 1980) भारत सरकार द्वारा समुदाय को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने और चोरबाजारी जैसी अनैतिक प्रथाओं को रोकने के उद्देश्य से लागू किया गया एक महत्वपूर्ण कानून है। यह अधिनियम 12 फरवरी, 1980 को अस्तित्व में आया, लेकिन इसे 5 अक्टूबर, 1979 से प्रभावी माना गया। इसका विस्तार पूरे भारत पर है, जिसमें जम्मू-कश्मीर को भी शामिल किया गया था, हालाँकि 2019 के अधिनियम संख्या 34 द्वारा इस क्षेत्र को विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद इसमें संशोधन किया गया।

1970 और 1980 के दशक में भारत में आवश्यक वस्तुओं की कमी और चोरबाजारी एक गंभीर समस्या थी। इस दौरान खाद्यान्न, तेल, चीनी जैसी आवश्यक वस्तुओं का अवैध रूप से संग्रहण और अत्यधिक मूल्य पर बिक्री होती थी, जिससे आम जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिए सरकार ने 1980 में यह अधिनियम पारित किया। यह अधिनियम आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के साथ मिलकर काम करता है और चोरबाजारी करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अनुमति देता है।

यह अधिनियम भारत सरकार के लिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने और चोरबाजारी जैसी सामाजिक-आर्थिक समस्याओं से निपटने का एक प्रभावी उपकरण है। हालाँकि, इसके कुछ प्रावधानों को मानवाधिकारों के दृष्टिकोण से चुनौती दी जाती रही है, क्योंकि निरोध आदेशों के तहत व्यक्तियों को बिना मुकदमा चलाए हिरासत में रखा जा सकता है। फिर भी, यह अधिनियम देश में आर्थिक न्याय और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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