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छावनी (किराया नियंत्रण विधियों का विस्‍तार)अधिनियम, 1957 (The Cantonments (Extension of Rent Control Laws) Act, 1957)

छावनी (किराया नियंत्रण विधियों का विस्तार) अधिनियम, 1957 (Cantonments (Extension of Rent Control Laws) Act, 1957) भारत सरकार द्वारा पारित एक महत्वपूर्ण कानून है, जिसका उद्देश्य देश की छावनियों (सैन्य क्षेत्रों) में गृह-आवास के किराए को नियंत्रित और विनियमित करना है। यह अधिनियम 18 दिसंबर, 1957 को लागू हुआ, लेकिन इसे 26 जनवरी, 1950 से प्रभावी माना गया। इसका प्राथमिक लक्ष्य छावनियों में नागरिक आबादी के लिए आवासीय स्थलों के किराए को न्यायसंगत बनाना और मनमाने किराया वृद्धि को रोकना है।

1950 के दशक में भारत में आवासीय किराए के मुद्दे पर नियंत्रण की आवश्यकता महसूस की गई, विशेष रूप से छावनियों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में, जहां सैन्य और नागरिक आबादी का सह-अस्तित्व होता है। इस अधिनियम को लागू करने से पहले, विभिन्न राज्यों में किराया नियंत्रण कानून मौजूद थे, लेकिन छावनियों पर उनका विस्तार नहीं किया गया था। इस कानून के माध्यम से, केंद्र सरकार ने राज्यों के किराया नियंत्रण कानूनों को छावनियों पर भी लागू करने का प्रावधान किया, ताकि एक समान नियम सुनिश्चित किया जा सके।

यदि किसी छावनी में किराया नियंत्रण कानून लागू होने से पहले कोई न्यायिक या प्रशासनिक आदेश जारी किया गया था, तो उसे नए कानून के तहत मान्य माना जाएगा।
यह अधिनियम छावनियों में आवासीय किराए को नियंत्रित करने और नागरिकों के हितों की रक्षा करने का एक प्रभावी उपकरण है। इसके माध्यम से केंद्र सरकार ने राज्यों के किराया नियंत्रण कानूनों को छावनियों पर लागू करके एक समान नीति सुनिश्चित की है। हालाँकि, इस कानून में कुछ अपवाद भी शामिल हैं, जैसे कि सरकारी परिसरों पर इसका लागू न होना। समय-समय पर संशोधनों के साथ, यह अधिनियम आज भी प्रासंगिक बना हुआ है और छावनियों में आवासीय स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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