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जामिया मिल्लिया इस्लामिया अधिनियम, 1988 (The Jamia Millia Islamia Act, 1988)

जामिया मिल्लिया इस्लामिया अधिनियम, 1988 भारत की संसद द्वारा पारित एक महत्वपूर्ण कानून है, जिसका उद्देश्य जामिया मिल्लिया इस्लामिया को एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करना और उसके प्रशासन, शैक्षणिक और प्रबंधन संबंधी मामलों को विनियमित करना था। यह अधिनियम 8 अक्टूबर, 1988 को लागू हुआ और इसके माध्यम से जामिया मिल्लिया इस्लामिया को एक स्वायत्त और मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की स्थापना 1920 में ब्रिटिश शासन के दौरान महात्मा गांधी के आह्वान पर हुई थी। यह संस्था असहयोग आंदोलन और खिलाफत आंदोलन के समय स्थापित की गई थी, जिसका उद्देश्य स्वदेशी शिक्षा को बढ़ावा देना और ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रायोजित शैक्षणिक संस्थानों का बहिष्कार करना था। 1939 में इसे "जामिया मिल्लिया इस्लामिया सोसाइटी" के रूप में पंजीकृत किया गया। 1962 में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) अधिनियम, 1956 के तहत इसे एक विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। 1988 के अधिनियम ने इसे एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता प्रदान की, जिससे इसकी स्वायत्तता और शैक्षणिक गतिविधियों को और मजबूती मिली।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया अधिनियम, 1988 ने इस संस्थान को एक मजबूत कानूनी आधार प्रदान किया, जिससे यह देश के प्रमुख शैक्षणिक और शोध संस्थानों में से एक बन गया। इसके तहत विश्वविद्यालय ने शिक्षा, अनुसंधान और सामाजिक विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। आज, जामिया मिल्लिया इस्लामिया भारत की बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक पहचान का प्रतीक है और शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है।

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