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दक्षिण भारत हिन्‍दी प्रचार सभा अधिनियम, 1964 (The South India Hindi Propaganda Sabha Act, 1964)

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की स्थापना हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। यह संस्था मूल रूप से मद्रास (अब चेन्नई) में स्थित थी और समाज के विभिन्न वर्गों में हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने का कार्य करती थी। 1964 में, भारत सरकार ने इस संस्था को राष्ट्रीय महत्व की संस्था घोषित करने का निर्णय लिया, जिसके परिणामस्वरूप "दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा अधिनियम, 1964" पारित किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य संस्था को विधिक मान्यता प्रदान करना, उसके कार्यों को व्यवस्थित करना और उसे राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण संस्था के रूप में स्थापित करना था।
यह अधिनियम भारत में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ। दक्षिण भारत में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए इस संस्था की स्थापना एक साहसिक कदम थी, जिसने भाषाई एकता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अधिनियम के माध्यम से संस्था को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली, जिससे उसके कार्यों को और अधिक गति मिली।

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