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पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 (The Environment (Protection) Act, 1986)

पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 भारत की संसद द्वारा पारित एक महत्वपूर्ण कानून है जिसे 23 मई, 1986 को लागू किया गया। इस अधिनियम का निर्माण 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावरण सम्मेलन (United Nations Conference on the Human Environment) से प्रेरित होकर किया गया था, जिसमें भारत ने भाग लिया था। इस सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण और सुधार के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया था। भारत ने इस दिशा में एक व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करने के लिए यह अधिनियम बनाया, जो पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को सुनिश्चित करता है।

अधिनियम का उद्देश्य
इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा, संरक्षण और सुधार करना है। यह अधिनियम केंद्र सरकार को पर्यावरण प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने और उसका उपशमन करने के लिए विभिन्न उपाय करने का अधिकार देता है। इसके अलावा, यह अधिनियम पर्यावरणीय मानकों को निर्धारित करने, प्रदूषकों के उत्सर्जन को सीमित करने और पर्यावरणीय दुर्घटनाओं से निपटने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है।

महत्व और प्रभाव
यह अधिनियम भारत में पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मजबूत कानूनी आधार प्रदान करता है। इसके माध्यम से केंद्र सरकार ने विभिन्न पर्यावरणीय मानकों और नियमों को लागू किया है, जैसे कि वायु और जल प्रदूषण के मानक, खतरनाक पदार्थों का प्रबंधन, और औद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण। इस अधिनियम ने पर्यावरणीय न्याय और सतत विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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