top of page

पुस्‍तक और समाचारपत्र परिदान (सार्वजनिक पुस्‍तकालय) अधिनियम, 1954 (The Delivery of Books and Newspapers (Public Libraries) Act, 1954)

पुस्तक और समाचारपत्र प्रदान (सार्वजनिक पुस्तकालय) अधिनियम, 1954 का उद्देश्य भारत में सार्वजनिक पुस्तकालयों को पुस्तकों और समाचारपत्रों की प्रतियाँ प्रदान करने की व्यवस्था करना है। यह अधिनियम 20 मई, 1954 को लागू हुआ और इसे संसद द्वारा पारित किया गया। इसका नाम "पुस्तक और समाचारपत्र प्रदान (सार्वजनिक पुस्तकालय) अधिनियम, 1954" है और यह जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत पर लागू होता है। हालाँकि, 2019 में जम्मू-कश्मीर के संघ राज्यक्षेत्र बनने के बाद इसे वहाँ भी लागू कर दिया गया।

यह अधिनियम ब्रिटिश कालीन "प्रेस और पुस्तक रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1867" से प्रेरित है, जिसमें प्रकाशकों को पुस्तकों की प्रतियाँ सरकारी पुस्तकालयों को देना अनिवार्य था। स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने इस प्रणाली को और व्यवस्थित करने के लिए 1954 में यह नया अधिनियम बनाया। इसमें समाचारपत्रों को भी शामिल किया गया, जिसे 1956 के संशोधन द्वारा जोड़ा गया।

1956 में इस अधिनियम में महत्वपूर्ण संशोधन किए गए, जिनमें समाचारपत्रों को शामिल करना और दंड प्रावधानों को स्पष्ट करना शामिल है। 2005 में नियम बनाने की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया गया।

यह अधिनियम भारत में साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सुनिश्चित करता है कि देश के प्रमुख पुस्तकालयों में नवीनतम पुस्तकें और समाचारपत्र उपलब्ध हों, जिससे शोधकर्ताओं और आम जनता को लाभ हो। इसका ऐतिहासिक महत्व इस बात में निहित है कि यह औपनिवेशिक काल की प्रणाली को आधुनिक भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप ढालता है।

  • Picture2
  • Telegram
  • Instagram
  • LinkedIn
  • YouTube

Copyright © 2025 Lawcurb.in

bottom of page