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पौधा किस्‍म और कृषक अधिकार संरक्षणअधिनियम, 2001 (The Protection of Plant Varieties and Farmers' Rights Act, 2001)

पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 (Plant Varieties and Farmers' Rights Act, 2001) भारत में कृषि और बागवानी के क्षेत्र में नवीन पौधा किस्मों के विकास, संरक्षण और कृषकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया एक महत्वपूर्ण कानून है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य पौधा किस्मों के जनकों (विकसकर्ताओं) और कृषकों के अधिकारों को संतुलित करना है, साथ ही देश में बीज उद्योग को बढ़ावा देना और कृषकों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराना है। यह अधिनियम बौद्धिक संपदा अधिकारों (Intellectual Property Rights) के अंतर्गत आता है और अंतरराष्ट्रीय समझौतों, विशेष रूप से TRIPS (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights) के अनुरूप है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1990 के दशक में वैश्विक स्तर पर बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ी, जिसके परिणामस्वरूप भारत ने भी पौधा किस्मों और कृषक अधिकारों के संरक्षण के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा विकसित करने का निर्णय लिया। इस अधिनियम को 2001 में संसद द्वारा पारित किया गया और 30 अक्टूबर, 2001 को इसे लागू किया गया। यह अधिनियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 51A (मौलिक कर्तव्य) और अनुच्छेद 253 (अंतरराष्ट्रीय समझौतों को लागू करने) के तहत बनाया गया है।

प्रभाव और महत्व
यह अधिनियम पौधा किस्मों के विकास को प्रोत्साहित करता है और कृषकों को उनके योगदान के लिए पहचान तथा पारिश्रमिक प्रदान करता है।
यह जैव विविधता और पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण में सहायक है।
अधिनियम ने भारत में बीज उद्योग को विनियमित करने और कृषकों तथा विकसकर्ताओं के बीच न्यायसंगत संबंध स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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