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प्रौद्योगिकी संस्‍थान अधिनियम, 1961 (The Institutes of Technology Act, 1961)

प्रौद्योगिकी संस्थान अधिनियम, 1961 भारत सरकार द्वारा देश में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए पारित किया गया एक महत्वपूर्ण कानून है। इस अधिनियम का उद्देश्य कुछ प्रौद्योगिकी संस्थानों को "राष्ट्रीय महत्व का संस्थान" घोषित करना था, ताकि उन्हें विशेष दर्जा और स्वायत्तता प्रदान की जा सके। यह अधिनियम 19 दिसंबर, 1961 को लागू हुआ और इसके माध्यम से देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों को एक समान कानूनी ढांचे में लाया गया।
इस अधिनियम के पहले, भारत में तकनीकी शिक्षा का विकास विभिन्न क्षेत्रीय और स्थानीय संस्थानों के माध्यम से हो रहा था, जिनमें से कुछ सोसाइटियों या विश्वविद्यालयों के अंतर्गत कार्य करते थे। 1961 के इस अधिनियम ने इन संस्थानों को एकीकृत करने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया। इसके अंतर्गत प्रारंभ में पांच संस्थानों (मुंबई, दिल्ली, कानपुर, मद्रास और खड़गपुर) को शामिल किया गया, जिन्हें बाद में अन्य संस्थानों के साथ विस्तारित किया गया।
इस अधिनियम ने भारत में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में एक मजबूत आधार प्रदान किया है।
आईआईटी संस्थानों को स्वायत्तता देकर उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाया है।
संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा देकर उनके विकास और अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा मिला है।

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