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फरीदाबाद विकास निगम अधिनियम, 1956 (The Faridabad Development Corporation Act, 1956)

फरीदाबाद विकास निगम अधिनियम, 1956 को भारत सरकार द्वारा 28 दिसंबर, 1956 को लागू किया गया था। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य फरीदाबाद शहर के व्यापार, उद्योग और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना था, विशेषकर उन विस्थापित व्यक्तियों की सहायता करना जो 1947 के विभाजन के बाद पाकिस्तान से भारत आए थे। यह अधिनियम फरीदाबाद विकास निगम (Faridabad Development Corporation) की स्थापना के लिए आधार प्रदान करता है, जिसे एक वैधानिक निकाय के रूप में गठित किया गया था ताकि शहर के समग्र विकास को सुनिश्चित किया जा सके।
निगम की स्थापना और संरचना:
अधिनियम के तहत, फरीदाबाद विकास निगम की स्थापना की गई, जो एक स्थायी उत्तराधिकार और सामान्य मुहर वाला एक कॉर्पोरेट निकाय है।
निगम में एक अध्यक्ष और 4 से 8 सदस्य होते हैं, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
निगम के कार्य और शक्तियाँ:
निगम का प्राथमिक कार्य फरीदाबाद में व्यापार, उद्योग और आवासीय सुविधाओं का विकास करना है।
इसे संपत्ति अर्जित करने, व्यापार चलाने, वित्तीय सहायता प्रदान करने, आवास निर्माण करने, और बिजली आपूर्ति जैसी सेवाएं प्रदान करने की शक्तियाँ प्राप्त हैं।
निगम विस्थापित व्यक्तियों के पुनर्वास और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए विशेष योजनाएं भी लागू कर सकता है।
वित्तीय प्रबंधन:
निगम की पूंजी केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाती है, और इसे ऋण तथा अनुदान भी प्राप्त हो सकते हैं।
निगम को अपने खातों का रखरखाव करना होता है और वार्षिक बजट तथा रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को प्रस्तुत करना होता है।
संपत्ति और अधिकारों का हस्तांतरण:
अधिनियम के तहत, फरीदाबाद विकास बोर्ड की सभी संपत्तियाँ और दायित्व निगम को हस्तांतरित कर दिए गए।
निगम को कानूनी मामलों में पूर्ववर्ती निकाय के अधिकार और दायित्व भी प्राप्त हुए।
नियमों और विनियमों का निर्माण:
केंद्र सरकार को निगम के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए नियम बनाने का अधिकार है, जिसमें सदस्यों की सेवा शर्तें, बैठकों का संचालन, और वित्तीय प्रबंधन शामिल हैं।
फरीदाबाद विकास निगम अधिनियम, 1956 का ऐतिहासिक महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह विभाजन के बाद के दौर में विस्थापितों के पुनर्वास और एक नए शहर के विकास के लिए एक संरचनात्मक ढाँचा प्रदान करता है। फरीदाबाद, जो अब हरियाणा राज्य का एक प्रमुख औद्योगिक शहर है, इस अधिनियम के माध्यम से अपनी आधारभूत संरचना और आर्थिक विकास की नींव रखने में सफल रहा। निगम ने शहर में आवास, बिजली, और अन्य आवश्यक सेवाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे यह क्षेत्र देश के प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में से एक बन गया।

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