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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (The Indian Evidence Act, 1872)

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 भारत की न्यायिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण आधार है, जो साक्ष्य संबंधी नियमों को परिभाषित करता है। यह अधिनियम 15 मार्च, 1872 को लागू हुआ और इसका उद्देश्य साक्ष्य के संग्रह, प्रस्तुतीकरण और मूल्यांकन के लिए एक समरूपीकृत ढांचा प्रदान करना है। यह अधिनियम न्यायालयों में तथ्यों और साक्ष्यों की प्रासंगिकता, स्वीकार्यता और मूल्य को निर्धारित करने में मदद करता है।
इस अधिनियम में साक्ष्य के विभिन्न प्रकार, जैसे मौखिक, दस्तावेजी और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, साथ ही स्वीकृति, गवाही और विशेषज्ञ राय जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया है। यह न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने में सहायक है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम आज भी देश की न्यायिक व्यवस्था का एक मूलभूत स्तंभ है और कानूनी मामलों में साक्ष्य के महत्व को सुनिश्चित करता है।

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