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भारत-तिब्‍बत सीमा पुलिस बल अधिनियम, 1992 (The Indo-Tibetan Border Police Force Act, 1992)

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (Indo-Tibetan Border Police - ITBP) की स्थापना 24 अक्टूबर, 1962 को हुई थी, जो भारत-चीन युद्ध के बाद की गई थी। इस युद्ध के बाद भारत को अपनी उत्तरी सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता महसूस हुई, विशेष रूप से तिब्बत के साथ लगी सीमा पर। ITBP का मुख्य उद्देश्य भारत-तिब्बत सीमा की निगरानी, सुरक्षा और अन्य संबंधित कर्तव्यों का निर्वहन करना था। 1992 में, इस बल के संगठन, कार्यों और अधिकारों को औपचारिक रूप से मान्यता देने के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल अधिनियम, 1992 पारित किया गया। यह अधिनियम ITBP के गठन, सेवा शर्तों, अनुशासन और अपराधों से संबंधित दंडों को परिभाषित करता है।
इस अधिनियम का प्राथमिक उद्देश्य ITBP के संगठनात्मक ढांचे, सदस्यों के कर्तव्यों और अधिकारों, तथा अनुशासनात्मक प्रावधानों को स्पष्ट करना है। यह अधिनियम बल के सदस्यों के लिए एक कानूनी आधार प्रदान करता है, जिससे वे भारत की सीमाओं की सुरक्षा करने के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा और अन्य सरकारी आदेशों का पालन कर सकें।
गठन और संरचना:
अधिनियम के अनुसार, ITBP एक सशस्त्र बल है जिसका गठन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
इसका नेतृत्व एक महानिदेशक (Director General) करता है, जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
बल के सदस्यों में अधिकारी, अधीनस्थ अधिकारी (Subordinate Officers), और अन्य रैंक के जवान शामिल होते हैं।
सेवा शर्तें और कर्तव्य:
बल के सदस्यों को भारत के किसी भी हिस्से या विदेश में सेवा करने का दायित्व होता है।
सेवा से इस्तीफा देने या कर्तव्यों से मुक्त होने के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है।
सेवा से इस्तीफा देने या कर्तव्यों से मुक्त होने के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है।
अनुशासनात्मक प्रावधान:
अधिनियम में विभिन्न अपराधों और उनके लिए दंड का विस्तृत विवरण दिया गया है। इनमें सीमा सुरक्षा से जुड़े अपराध, अनुशासनहीनता, और सेना के नियमों का उल्लंघन शामिल हैं।
गंभीर अपराधों जैसे दुश्मन के साथ सहयोग, आत्मसमर्पण, या सैन्य संपत्ति को नुकसान पहुँचाने के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान है।
दंड प्रक्रिया:
अपराधों की जाँच और दंड देने का अधिकार ITBP के न्यायाधिकरणों (Force Courts) को दिया गया है।
दंड के रूप में सेवा से बर्खास्तगी, वेतन कटौती, कारावास, या अन्य प्रशासनिक दंड शामिल हो सकते हैं।
विशेष अधिकार:
बल के सदस्यों को सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के दौरान विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं, जैसे कि गिरफ्तारी करना और आवश्यकता पड़ने पर बल प्रयोग करना।
यह अधिनियम ITBP को एक संगठित और कानूनी ढांचा प्रदान करता है, जिससे यह बल भारत की सीमाओं की सुरक्षा में अधिक प्रभावी ढंग से कार्य कर पाता है। इसके अलावा, यह अधिनियम बल के सदस्यों के अधिकारों और कर्तव्यों को स्पष्ट करता है, जिससे अनुशासन और जवाबदेही बनी रहती है।

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