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मजदूरी संहिता, 2019 (The Code on Wages, 2019)

भारत में मजदूरी और श्रम कल्याण से संबंधित कानूनों का इतिहास ब्रिटिश काल से शुरू होता है। स्वतंत्रता के बाद, श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए कई कानून बनाए गए, जैसे कि न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948; बोनस भुगतान अधिनियम, 1965; और मजदूरी भुगतान अधिनियम, 1936। हालांकि, समय के साथ इन कानूनों में जटिलताएँ और असंगतियाँ उत्पन्न हुईं, जिसके कारण श्रमिकों और नियोक्ताओं दोनों को कानूनी अनुपालन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इन समस्याओं को दूर करने और श्रम कानूनों को सरल बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने चार श्रम संहिताएँ लागू कीं, जिनमें से एक मजदूरी संहिता, 2019 है। यह संहिता 8 अगस्त, 2019 को अधिनियमित की गई और इसका उद्देश्य मजदूरी और बोनस से संबंधित विभिन्न कानूनों को समेकित करना है।

प्रमुख प्रावधान
धारा 3: लिंग के आधार पर भेदभाव का निषेध।
धारा 5: न्यूनतम मजदूरी से कम भुगतान पर प्रतिबंध।
धारा 17: मजदूरी भुगतान की समयसीमा का निर्धारण।
धारा 26-41: बोनस से संबंधित प्रावधान, जिसमें पात्रता, गणना और भुगतान की प्रक्रिया शामिल है।
धारा 42: केंद्रीय और राज्य सलाहकार बोर्ड का गठन, जो मजदूरी और बोनस से जुड़े मुद्दों पर सरकार को सलाह देते हैं।
धारा 54-56: अपराधों और दंड का विवरण।

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