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राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् अधिनियम, 1993 (The National Council for Teacher Education Act, 1993)

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (NCTE) अधिनियम, 1993 भारत में शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता और मानकों को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। इस अधिनियम का उद्देश्य देश भर में शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को विनियमित करना और शिक्षक शिक्षा के पाठ्यक्रमों को मानकीकृत करना था। इससे पहले, शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में गुणवत्ता और पाठ्यक्रम में व्यापक विविधता थी, जिसके कारण शिक्षकों के प्रशिक्षण स्तर में असमानता देखी जाती थी। NCTE की स्थापना के माध्यम से, सरकार ने शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में एक राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय और नियंत्रण स्थापित किया।
परिषद् की स्थापना: अधिनियम के तहत एक राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (NCTE) की स्थापना की गई है, जिसमें एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्य शामिल होते हैं। यह परिषद् शिक्षक शिक्षा से संबंधित नीतियों और मानकों को तय करती है।
क्षेत्रीय समितियाँ: अधिनियम में चार क्षेत्रीय समितियों (पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी) का प्रावधान है, जो विभिन्न क्षेत्रों में NCTE के कार्यों को लागू करती हैं।
मान्यता प्रक्रिया: संस्थानों को मान्यता प्राप्त करने के लिए NCTE द्वारा निर्धारित बुनियादी सुविधाओं, शैक्षणिक मानकों और संसाधनों का पालन करना होता है।
अपील प्रक्रिया: यदि कोई संस्थान NCTE के निर्णय से असहमत होता है, तो वह परिषद् के पास अपील कर सकता है।
1993 के बाद से, इस अधिनियम में कई संशोधन किए गए हैं, जिनमें 2011 और 2019 के संशोधन प्रमुख हैं। इन संशोधनों के माध्यम से शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रावधान जोड़े गए और मौजूदा प्रक्रियाओं को सुधारा गया। उदाहरण के लिए, 2011 के संशोधन में स्कूली शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता मानकों को शामिल किया गया था।

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