top of page

विभागीय जांच (साक्षियों को हाजिर कराना तथा दस्‍तावेज पेश कराना) अधिनियम, 1972 (The Departmental Inquiries (Enforcement of Attendance of Witnesses and Production of Documents) Act, 1972)

विभागीय जांच (साक्षियों को हाजिर कराना तथा दस्तावेज पेश कराना) अधिनियम, 1972 भारत सरकार द्वारा 31 मई, 1972 को अधिनियमित किया गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों या संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार या ईमानदारी की कमी के आरोपों की जांच करते समय साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना था। यह अधिनियम उस समय की आवश्यकता थी जब सरकारी विभागों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक कानूनी ढांचे की आवश्यकता महसूस की गई थी। इससे पहले, विभागीय जांच में साक्षियों को बुलाने या दस्तावेजों की मांग करने की प्रक्रिया में कानूनी अड़चनें आती थीं, जिन्हें दूर करने के लिए इस अधिनियम को लाया गया।
परिभाषाएं और विस्तार:
अधिनियम का विस्तार जम्मू-कश्मीर को छोड़कर (बाद में 2019 में लागू किया गया) पूरे भारत पर है।
यह अधिनियम केंद्र सरकार के कर्मचारियों, सार्वजनिक उपक्रमों, सरकारी कंपनियों, और केंद्र सरकार के नियंत्रण वाले संगठनों पर लागू होता है।
जांच प्राधिकारी की शक्तियाँ:
धारा 4 और 5 के तहत, केंद्र सरकार किसी जांच प्राधिकारी को साक्षियों को बुलाने, शपथ पर उनकी परीक्षा करने, दस्तावेजों की मांग करने, और न्यायालयों से सार्वजनिक अभिलेखों की अपेक्षा करने का अधिकार दे सकती है।
जांच प्राधिकारी को सिविल न्यायालय के समान शक्तियाँ प्राप्त होती हैं, जिसमें दंड प्रक्रिया संहिता, 1898 की धारा 480 और 482 के तहत न्यायालय का दर्जा भी शामिल है।
साक्ष्य संग्रह की प्रक्रिया:
जांच प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए आदेशों को संबंधित न्यायिक अधिकारी के माध्यम से तामील किया जाता है।
बैंकिंग संस्थानों से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों को पेश करने से इनकार करने का विशेष प्रावधान है।
नियम बनाने की शक्ति:
धारा 7 के तहत, केंद्र सरकार इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए नियम बना सकती है, जिन्हें संसद के समक्ष रखा जाना आवश्यक है।
इस अधिनियम ने विभागीय जांचों को अधिक प्रभावी बनाया है। यह सुनिश्चित करता है कि जांच प्राधिकारी साक्ष्य एकत्र करने में सक्षम हों, जिससे भ्रष्टाचार या अनियमितताओं के मामलों में निष्पक्ष जांच हो सके। इसके अलावा, यह अधिनियम सरकारी कर्मचारियों के लिए एक निवारक उपाय के रूप में भी कार्य करता है, जिससे उनमें ईमानदारी और जवाबदेही बनी रहती है।

  • Picture2
  • Telegram
  • Instagram
  • LinkedIn
  • YouTube

Copyright © 2025 Lawcurb.in

bottom of page