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सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (The Code on Social Security Act, 2020)

भारत में सामाजिक सुरक्षा की अवधारणा का इतिहास स्वतंत्रता से पूर्व के श्रम आंदोलनों और औद्योगीकरण के दौरान कर्मचारियों की सुरक्षा की आवश्यकता से जुड़ा है। स्वतंत्रता के बाद, संविधान के अनुच्छेद 41, 42, और 43 में राज्य को नागरिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया। इसके तहत कई कानून बनाए गए, जैसे कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम (1952), कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम (1948), और मातृत्व लाभ अधिनियम (1961)। इन विभिन्न कानूनों को समेकित करके एक व्यापक संहिता बनाने की आवश्यकता महसूस की गई, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 का निर्माण हुआ। यह संहिता 28 सितंबर, 2020 को लागू हुई और इसका उद्देश्य संगठित एवं असंगठित क्षेत्रों के सभी कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा का व्यापक दायरा प्रदान करना है।
व्यापक कवरेज: पहली बार असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों (जैसे ऑटो चालक, घरेलू कामगार) को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिला।
डिजिटल प्रबंधन: रजिस्ट्रेशन और लाभ वितरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली को बढ़ावा दिया गया।
लचीलापन: विभिन्न आर्थिक स्थितियों के अनुसार योजनाओं में संशोधन की गुंजाइश।
सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 भारत में श्रम कल्याण की दिशा में एक मील का पत्थर है। यह न केवल पारंपरिक कर्मचारियों बल्कि नए युग के गिग वर्कर्स और स्वरोजगार करने वालों को सुरक्षा प्रदान करती है। हालाँकि, इसका प्रभावी क्रियान्वयन और जागरूकता अभी भी एक चुनौती है, जिस पर सरकार और संबंधित संस्थाओं को काम करना होगा।

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