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सिनेमा कर्मकार और सिनेमा थिएटर कर्मकार (नियोजन का विनियमन) अधिनियम, 1981 (The Cinema Workers and Cinema Theatre Workers (Regulation of Employment) Act, 1981)

भारत में सिनेमा उद्योग एक प्रमुख सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्र रहा है, जिसमें फिल्म निर्माण और थिएटर संचालन से जुड़े हजारों कर्मकारों का योगदान होता है। 20वीं सदी के उत्तरार्ध में, इस उद्योग में काम करने वाले कर्मकारों, जैसे अभिनेता, तकनीशियन, और अन्य श्रमिकों, के कार्य स्थितियों और अधिकारों को लेकर चिंताएं उत्पन्न हुईं। इन कर्मकारों को अक्सर अनियमित नियोजन, अस्थिर आय, और सामाजिक सुरक्षा के अभाव का सामना करना पड़ता था। इन मुद्दों को हल करने के लिए, भारत सरकार ने सिनेमा कर्मकार और सिनेमा थिएटर कर्मकार (नियोजन का विनियमन) अधिनियम, 1981 को लागू किया। यह अधिनियम सिनेमा कर्मकारों और थिएटर कर्मकारों के नियोजन को विनियमित करने, उनके अधिकारों की रक्षा करने, और उन्हें बेहतर कार्य स्थितियां प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया गया था।

सिनेमा कर्मकार और सिनेमा थिएटर कर्मकार (नियोजन का विनियमन) अधिनियम, 1981, भारत में सिनेमा उद्योग से जुड़े कर्मकारों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। इस अधिनियम ने न केवल कर्मकारों के नियोजन को विनियमित किया, बल्कि उन्हें सामाजिक सुरक्षा और विवाद समाधान के लिए एक संरचित प्रणाली भी प्रदान की। यह अधिनियम आज भी सिनेमा उद्योग में काम करने वाले लाखों कर्मकारों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है।

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